
गुलाबी इल्ली की समस्या को समझनाा
गुलाबी इल्ली (Pectinophora gossypiella) कपास की सबसे विनाशकारी कीटों में से एक है। इसके लार्वा कपास के टिंडों में छेद करके अंदर भोजन करते हैं, जिससे बीज और रेशा (lint) दोनों खराब हो जाते हैं। इसका असर न केवल उत्पादन की मात्रा पर पड़ता है बल्कि कपास के रेशे की गुणवत्ता भी गिर जाती है, जिससे सीधे किसानों के मुनाफे पर चोट पहुँचती है।
जलवायु संबंधी कारक भी इसके प्रकोप को प्रभावित करते हैं। गर्म और आर्द्र परिस्थितियाँ इसके तेजी से बढ़ने में मदद करती हैं, यानी जलवायु परिवर्तन और असामान्य मौसम गुलाबी इल्ली के प्रकोप को और गंभीर बना सकते हैं।
भारत में गुलाबी इल्ली क्यों चिंता का विषय है?
- मध्य और दक्षिण भारत में इसका प्रकोप बहुत अधिक दर्ज किया गया है, कभी-कभी 40–95% तक टिंडों को प्रभावित करता है।
- अगर नियंत्रण न किया जाए तो 20–30% तक की पैदावार हानि हो सकती है।
- बोल्गार्ड II कपास में बीटी विषैले पदार्थों (क्राई1एसी और क्राई2एबी) के प्रति प्रतिरोध की प्रक्रिया चल रही है और इसे शीघ्र ही प्रलेखित किया जाएगा, जिससे केवल पारंपरिक आनुवंशिक प्रतिरोध अपर्याप्त हो जाएगा।
- जिनिंग और बीज भंडारण के दौरान यह कीट अगले मौसम तक जीवित रह सकता है।
- अपर्याप्त “रिफ्यूज प्लांटिंग” ने प्रतिरोध विकास को और तेज कर दिया है।
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किसान कौन-सी सावधानियाँ बरत सकते हैं?
किसान केवल कीटनाशकों पर निर्भर रहने के बजाय समेकित कीट प्रबंधन (IPM) अपनाकर कपास की रक्षा कर सकते हैं। कुछ महत्वपूर्ण सावधानियाँ:
- फसल चक्र (Crop Rotation) – वैकल्पिक मौसम में गैर-होस्ट फसलें उगाएँ ताकि कीट का जीवन चक्र टूटे।
- प्रतिरोधी किस्मों का चयन – ऐसी कपास की संकर किस्में चुनें जिनमें गुलाबी इल्ली के प्रति बेहतर सहनशीलता हो।
- कीटनाशकों का संतुलित उपयोग – अनुशंसित कीटनाशक समय पर और सही मात्रा में छिड़कें, अति प्रयोग से बचें ताकि प्रतिरोध न बढ़े।
- जैविक नियंत्रण – प्राकृतिक शत्रुओं जैसे परजीवी ततैया, शिकारी कीट, या लाभकारी कवक को प्रोत्साहित करें जो लार्वा पर हमला करते हैं।
- खेत की स्वच्छता – फसल कटाई के बाद बचे हुए पौधे, अधखुले टिंडे और अवशेष नष्ट करें ताकि कीट कीटाणु न बचें।
- निगरानी व फँदों का उपयोग – फेरोमोन ट्रैप लगाएँ ताकि कीट की मौजूदगी का समय पर पता चल सके और कार्रवाई की जा सके।
- मौसम आधारित प्रबंधन – तापमान और आर्द्रता की स्थिति को देखते हुए फसल प्रबंधन करें, क्योंकि ये कीट गतिविधि पर बड़ा असर डालते हैं।
कीटनाशक की सिफारिशें
गुलाबी इल्ली के नियंत्रण के लिए विशेषज्ञ अक्सर ये कीटनाशक सुझाते हैं:
- प्रोफेनोफॉस
- थायोडीकार्ब
- क्लोरैन्ट्रानिलिप्रोल
- इमामेक्टिन बेंजोएट
इनका छिड़काव फसल के विशेष चरणों (बुवाई के 65–110 दिन बाद) और सही मात्रा में किया जाना चाहिए। किसानों को क्षेत्रीय मार्गदर्शन के लिए स्थानीय कृषि विस्तार अधिकारियों या विशेषज्ञों से सलाह लेनी चाहिए।
दीर्घकालिक प्रबंधन उपाय
भविष्य में गुलाबी इल्ली से बचाव के लिए किसान:
- कम अवधि वाली कपास किस्में अपनाएँ जिससे कीट को बढ़ने का समय न मिले।
- रिफ्यूज प्लांटिंग (non-Bt कपास) बनाए रखें ताकि प्रतिरोध धीमा हो।
- बीज की शुद्धता पर ध्यान दें ताकि टॉक्सिन अभिव्यक्ति एकसमान रहे।
- रासायनिक, सांस्कृतिक और जैविक तरीकों का संयोजन करें ताकि स्थायी नियंत्रण हो सके।
जैविक नियंत्रण की भूमिका
जैविक नियंत्रण का मतलब है कीटों से लड़ने के लिए प्रकृति के शत्रुओं का उपयोग करना, केवल रसायनों पर निर्भर नहीं रहना। गुलाबी इल्ली के लिए लाभकारी कीट जैसे परजीवी ततैया या शिकारी कीट इनकी संख्या कम कर सकते हैं। यह तरीका पर्यावरण के अनुकूल, किफायती और रसायनों पर निर्भरता कम करने वाला है।
KRISH-45 BG II का परिचय: एक मजबूत समाधान
इन चुनौतियों के बीच, सही संकर किस्म का चयन बड़ा अंतर पैदा करता है।
KRISH-45 BG II एक कपास संकर है जिसे गुलाबी इल्ली के प्रति अधिक प्रतिरोध और सहनशीलता के लिए विकसित किया गया है।
मुख्य लाभ:
- गुलाबी इल्ली हमलों के खिलाफ बेहतर सुरक्षा।
- कीट दबाव के बावजूद स्थिर पैदावार।
- किसानों के लिए एक सुरक्षित और भरोसेमंद विकल्प।
- IPM प्रथाओं के साथ सामंजस्य, जिससे कीट भार और कीटनाशक निर्भरता कम होती है।
KRISH-45 BG II को कृषि पद्धतियों में शामिल करके और ऊपर बताए गए प्रबंधन उपायों के साथ मिलाकर, किसान अपनी फसल की रक्षा कर सकते हैं, पैदावार सुरक्षित रख सकते हैं और उत्पादन जोखिम घटा सकते हैं।
त्वरित चेकलिस्ट: कपास को गुलाबी इल्ली से कैसे बचाएँ
- फसल चक्र अपनाएँ और लगातार कपास न उगाएँ।
- KRISH-45 BG II जैसी प्रतिरोधी किस्में चुनें।
- कीटनाशक समझदारी से और समय पर लगाएँ।
- जैविक नियंत्रण को बढ़ावा दें।
- निगरानी के लिए फेरोमोन ट्रैप लगाएँ।
- कटाई के बाद पौध अवशेष हटाएँ।
- मौसम के पैटर्न पर सतर्क रहें।
आज ही अपनी कपास की फसल की सुरक्षा करें। अधिक पैदावार और लाभ के लिए KRISH-45 BG II अपनाएँ।
अंतिम विचार
गुलाबी इल्ली भारत में कपास की खेती के लिए गंभीर खतरा बनी हुई है। लेकिन प्रतिरोधी संकर, वैज्ञानिक फसल प्रबंधन और टिकाऊ कीट नियंत्रण रणनीतियों के साथ किसान नुकसान कम कर सकते हैं।
KRISH-45 BG II इस लड़ाई में एक अतिरिक्त लाभ देता है—गुलाबी इल्ली के प्रति अधिक सहनशीलता और किसानों की लाभप्रदता को समर्थन।
अच्छी कृषि प्रथाओं के साथ मिलकर यह सुनिश्चित करता है कि कपास की खेती कीट चुनौतियों के बीच भी मजबूत, उत्पादक और टिकाऊ बनी रहे।